साहित्य समाज की आत्मा से रूबरू करना ही उसका उद्देश्य नहीं होता, बल्कि समाज में जन चेतना जागृत करने के लिए होता है। समाज में नये मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए सृजन की चाहत व्यक्ति में चली आ रही है। सृजन की चाहत, व्यक्ति में समाज में फैली विषमताओं, पाखंड, अंधविश्वास, अशिक्षा और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए भी होती है। नव चेतना के लिए समाज में साहित्य का अपना एक विशेष महत्व होता है। पुस्तक में कविता काव्य के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के लिए रचना की साधना, प्रस्तुति, कौशल, संवेदनात्मक आवेगों की पकड़ को ध्यान में रखा गया है। बेहतरीन तरीके से "नव चेतना वाणी " पुस्तक में प्रस्तुत किया है। समाज और साहित्य काव्य परस्पर पूरक होते हैं। कवि का समाज के प्रति दायित्व होता है कि कविता काव्य से एक दिशा इंगित करना। साहित्य और काव्य समाज का दर्पण होता है। यह कह सकते हैं कि समाज और काव्य दोनों समांतर चलते हैं। काव्य जन जागरण की दृष्टि से अमिट छाप छोड़ता है।
सृजन की शक्ति का सदुपयोग कर सद् भाव, सुसंस्कार, मार्मिक अनुभूति, आनंद की अनुभूति तथा प्रगति पथ पर चलने के लिए "नव चेतना वाणी" पुस्तक में किया गया है। मैंने इस पुस्तक में अपने मौलिक विचार प्रस्तुत कर काव्य को उत्कृष्ट बनाने की पूरी कोशिश की है। समाज में जागरूकता जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया है।
पुस्तक का मूल उद्देश्य नव चेतना को व्यापक आधार देना है। तथा पाखंड रूढ़िवादी सड़ी-गली मान्यताओं को नकार कर नव चेतना वाणी से जन जागृति का प्रयास किया है।